Too Many Toppers, Too Few Seats: CAT में अब 99.99 Percentile भी क्यों पर्याप्त नहीं?

Too Many Toppers, Too Few Seats: CAT में अब 99.99 Percentile भी क्यों पर्याप्त नहीं?

CAT (Common Admission Test) लंबे समय से भारत की सबसे कठिन और प्रतिष्ठित प्रवेश परीक्षाओं में गिनी जाती रही है। लेकिन हाल के वर्षों में CAT ने अत्यधिक प्रतिस्पर्धा (Extreme Competition) के एक नए दौर में प्रवेश कर लिया है। स्थिति यह है कि अब 99.99 percentile लाने के बाद भी कई उम्मीदवारों को टॉप IIMs से कॉल नहीं मिल पा रहा।

यह लेख CAT के पिछले पाँच वर्षों के ट्रेंड के आधार पर समझाता है कि कैसे टॉप पर्सेंटाइल क्लस्टर बढ़े हैं, सीटें सीमित हैं और मामूली अंकों का अंतर भी अब करियर की दिशा तय कर रहा है।

CAT में पर्सेंटाइल का अर्थ और बदलती हकीकत

CAT में पर्सेंटाइल यह बताता है कि आपने कितने प्रतिशत उम्मीदवारों से बेहतर प्रदर्शन किया है। पहले जहाँ 99+ percentile को लगभग IIM कॉल की गारंटी माना जाता था, वहीं अब हालात पूरी तरह बदल चुके हैं।

आज CAT में टॉप 0.01 पर्सेंटाइल के भीतर दर्जनों उम्मीदवार मौजूद होते हैं, जिससे चयन प्रक्रिया और भी कठोर हो गई है।

पिछले 5 वर्षों में CAT प्रतिस्पर्धा कैसे बढ़ी?

वर्ष रजिस्टर्ड उम्मीदवार 99.9+ पर्सेंटाइल वाले
2021 लगभग 2.3 लाख सीमित
2023 लगभग 3 लाख तेजी से बढ़ोतरी
2025 3+ लाख अत्यधिक क्लस्टर

जैसे-जैसे उम्मीदवारों की संख्या बढ़ी, वैसे-वैसे टॉप स्कोरर्स का घनत्व भी बढ़ता गया।

Too Many Toppers: टॉप पर्सेंटाइल क्लस्टर क्यों बन रहे हैं?

आज CAT में सैकड़ों उम्मीदवार लगभग समान स्कोर करते हैं। इसका मुख्य कारण है:

  • बेहतर कोचिंग इकोसिस्टम
  • ऑनलाइन मॉक टेस्ट और एनालिटिक्स
  • पिछले वर्षों के प्रश्नों की गहरी समझ

इसका नतीजा यह है कि अब एक या दो प्रश्न का अंतर भी कई रैंक नीचे गिरा सकता है।

Too Few Seats: IIMs में सीटों की वास्तविकता

जहाँ CAT देने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है, वहीं टॉप IIMs की सीटें लगभग स्थिर हैं।

IIM Ahmedabad, Bangalore और Calcutta जैसे संस्थानों में जनरल कैटेगरी की सीटें सीमित हैं, जिससे चयन प्रक्रिया बेहद प्रतिस्पर्धी हो जाती है।

Normalization ने खेल और कठिन कैसे बना दिया?

CAT अब मल्टी-शिफ्ट परीक्षा है, जिसमें Normalization प्रक्रिया लागू होती है। इसका मतलब यह है कि:

  • कच्चा स्कोर (Raw Score) निर्णायक नहीं होता
  • मामूली स्कोर अंतर पर्सेंटाइल को बड़ा प्रभावित करता है
  • एक प्रश्न का सही/गलत होना बड़ा फर्क डाल सकता है

इससे टॉप पर्सेंटाइल में भीषण प्रतिस्पर्धा पैदा हो गई है।

अब सिर्फ CAT स्कोर क्यों पर्याप्त नहीं?

आज के दौर में IIMs केवल CAT पर्सेंटाइल नहीं देखते। वे समग्र प्रोफाइल पर जोर देते हैं:

  • 10वीं–12वीं और ग्रेजुएशन के अंक
  • वर्क एक्सपीरियंस
  • जेंडर और अकादमिक डाइवर्सिटी
  • इंटरव्यू और WAT/PI प्रदर्शन

इसी वजह से कई बार 99.99 percentile लाने वाले उम्मीदवार भी बाहर रह जाते हैं।

CAT Aspirants को अब क्या रणनीति अपनानी चाहिए?

अब CAT की तैयारी केवल अधिक स्कोर तक सीमित नहीं रह गई है। छात्रों को चाहिए कि वे:

  • सेक्शनल स्ट्रेंथ पर काम करें
  • प्रोफाइल बिल्डिंग पर ध्यान दें
  • नॉन-IIM टॉप B-Schools को भी गंभीरता से देखें

आज का CAT एक होलिस्टिक कॉम्पिटिशन बन चुका है, न कि केवल एक स्कोर गेम।

निष्कर्ष

“Too many toppers, too few seats” अब CAT की सच्चाई बन चुकी है। बढ़ते टॉप पर्सेंटाइल क्लस्टर, सीमित IIM सीटें और प्रोफाइल-आधारित चयन ने 99.99 percentile की अहमियत भी कम कर दी है

CAT aspirants के लिए सबसे बड़ा सबक यही है कि अब सफलता सिर्फ अंक नहीं, बल्कि समग्र रणनीति और संतुलित प्रोफाइल से तय होगी।

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